May 2, 2019

मजदूर अधिकार दिवस के दिन बंधुआ मजदूरी के दंश से मुक्त कराए 28 बँधुआ मजदूर। योगी- मोदी सरकार और प्रशासन की गरीब विरोधी नीतियों का नतीजा है। अगर राज्य सरकार ने इन गरीबों और बच्चों की मूलभूत जरूरतों का ख्याल रखा होता तो ये परिवार और गरीब बंधुआ मजदूर बनने को मजबूर नहीं होते।

भीलवाड़ा जिले के माण्डल तहसील के कंचनईंट भट्टे पर 28 मजदूरों को बंधुआ बना रखा था बिना वेतन कर रहे थे बंधुआ मज़दूरी , घर जाने का कहने  पर मालिक महिला  व पुरुष मज़दूरों से करता था मारपीट ।

मानवाधिकार  की रिंकु परिहार ने बताया की संस्थान प्रतिनिधियों द्वारा कल उपखंड मजिस्ट्रेट माण्डल  को इलाक़े के ईंट भट्टे पर बंधुआ मज़दूर होने की सूचना दी गई उपखंड मजिस्ट्रेट माण्डल के आदेश पर नायब तहसीलदार व संस्थान के सदस्यों द्वारा कार्यवाही कर 28 बँधुआ मजदूरों को मुक्त करवाया गया।



मौके पर की गई कार्यवाही  के आधार पर सभी बँधुआ मज़दूरों को उपखंड कार्यलय लाया गया |
देर रात कार्यवाही चलने के कारण रात में सभी मजदूरों को उपखड़ परिसर में ही  रुकवाया गया व संस्थान के प्रतिनिधियों द्वारा रात को 12 बजे खाने की व्यवस्था की गई ।




मजदूरों ने बताया कि वो भट्टे पर 16 से 17 घंटे काम करते थे परंतु उनको कभी भी पेमेंट वेतन नहीं दिया गया बस खर्चे पाने के पैसे 15 दिन में बहुत बार मांगने पर दे दिया जाता था वह दुकानदार से विनती करके उधार का सामान लाते थे ओर अपना पेट भरते थे ।



एक अन्य मजदूर राममूरत ने बताया कि उसके साथ भट्टे पर मारपीट होती थी पैसे मांगने व बिना बताए इधर उधर जाने पर भी मालिक द्वारा उसके साथ मारपीट व गाली गलौज की गई ।



प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द सभी बाल बंधुआ मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र देने और नियोक्ता के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराके शीघ्र कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है जिससे सभी का पुर्नवास हो सके।

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